Printingbazar Blog मानव शक्ति और यशवर्धन

मानव शक्ति और यशवर्धन

सूर्यदिवस के दिन कि शुरुआत में सूर्य के सुनहरे किरणों के संग दर्शन न हो प्राणी मात्र बिहवाल हो उठते हैं।परन्तु प्राणियों के प्राण रक्षण हेतु जगत के सर्वशक्तिशाली प्रकाश के पुंज भी अपनेआप को निस्तेज कर बादलों को उमर घूमर कर सात सुरों में जगत के एक हिस्से में अमृत्युलय जल वृष्टि के मनोरम दृश्य और शीतलता के आनंद से आनंदित होते प्राणियों को देख किसी अन्य कोने से देख मंद मंद मुस्काते रहते । कुछ दिन कुछ महीने अब यही चलता रहेगा ,शुरू में तो सबको अति आनंद का अहसास होता है लेकिन जब यह दिन महीने में बदलता है ,अमृत्युलय जलवृष्टि से नदी नाले ताल तलैया उमर घूमर जाते तो फिर हर जीव , मानव रवि के दर्शन को विकल हो जाते ।तब फिर पुनः रवि जीवों के जीवन में मंद मंद मुस्कुराते हुए आ जाते और सब जीव धन्य धन्य हो जाते। क्या अगर हर मानव भी अपने शक्ति और सता को कुछ दिन जीव और मानव कल्याण के उत्सर्जन कर सकता ?इससे जग का उस सर्वश्रेष्ठ मानव का भी शक्ति और यशवर्धन ही होगा।
सादर किशोर कुमार दास भारतीय

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